मेडिकल डेस्क।
देश में 21 दिन का लॉक डाउन का आधा सफर पूरा हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि लॉक डाउन से संक्रमण के मामले बढ़ने में कमी आती है क्योंकि एस संक्रमित व्यक्ति 2.9 लोगों में संक्रमण फैलाता है और लॉक डाउन में यह संख्या घटकर 2.0 हो जाती है, शून्य नहीं।
दिल्ली के ‘यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान’ (आईएलबीएस) के निदेशक डॉक्टर एस. के. सरीन ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया है कि भारत को संक्रमण रोकने के लिए प्रत्येक संदिग्ध मरीज के संपर्क में आए हर एक व्यक्ति की पहचान के लिए चीन और दक्षिण कोरिया की तर्ज पर जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। प्रत्येक राज्य में संक्रमण के प्रसार की गति के मुताबिक रणनीति बनानी होगी।
संक्रमण का तीसरा चरण रोकना है तो उठाने होंगे ये कदम
डॉक्टर सरीन ने बताया कि अगर हमें संक्रमण के तीसरे चरण में जाने से बचना है तो कुछ कदम उठाने होंगे। पहला, संक्रमण के संदिग्ध लोगों के संपर्क में आए प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचने के लिए जीपीएस (GPS) जैसी तकनीकों का सहारा लेना होगा। दूसरा जरूरी काम जनता की भागीदारी सुनिश्चित करना है। इसके लिए लोगों को जागरूक कर संक्रमण के लक्षणों को छुपाने के बजाय खुद उजागर करने के लिए प्रेरित किया जाना है और तीसरा, परीक्षण क्षमता को मांग की तुलना में काफी अधिक रखना है।
उन्होंने बताया कि संक्रमण को रोकने का एकमात्र विकल्प ‘कांटेक्ट ट्रेसिंग’ (संदिग्ध मरीजों के संपर्क को खंगालना) है। चीन में संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लगभग 26 हजार लोगों की पहचान हुई, उनमें से 2,58,00 तक जीपीएस की मदद से पहुंचा जा सका।
जांच के लिए खुद आगे आएं लोग
अभी हम उन लोगों की जांच कर रहे हैं, जिनमें वायरस के लक्षण दिखने लगे हैं। जबकि लक्षण दिखने के दो दिन पहले ही संभावित मरीज से संक्रमण दूसरों में फैलने लगता है इसलिए यह जरूरी है कि ऐसे संभावित मरीजों के संपर्क में दो दिन पहले जितने लोग भी आए उन्हें भी हम जांच के दायरे में लाएं। इसके लिए लोगों की भागीदारी बहुत जरूरी है। अकेले सरकार इस नेटवर्क को कवर नहीं कर सकती है। मामूली सी आशंका दिखने पर भी लोग स्वयं परीक्षण के लिए आगे आएं। संक्रमण के तीसरे चरण में जाने से बचने का यह जरूरी उपाय है।