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Morgan Howen

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आमेर: कांग्रेस के प्रशांत के प्रति सहानुभूति लहर, भाजपा के सतीश पूनियां बागियों में उलझे

Leader Today. जयपुर
आमेर विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्षव वर्तमान विधायक सतीश पूनिया का सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी प्रशांत सहदेव शर्मा से है। पिछली बार की हार के कारण प्रशांत शर्मा के पक्ष में सहानुभूति लहर है। क्षेत्र एससी, एसटी, गुर्जर, जाट, ब्राह्मण मतदाताओं का इस बार प्रशांत शर्मा को वोट देने की बात सामने आ रही है। वहीं पूनिया को भाजपा का बड़ा चेहरा होने का फायदा मिल रहा है, वहीं प्रशांत के प्रति पिछले चुनाव की हार से सहानुभूति है। आमेर में पिछले दो चुनावों में एक बार हारने के बाद अगले चुनाव में प्रत्याशी जीतते आए है। भाजपा के बागी राजकुमार शर्मा के मैदान में होने से परंपरागत बागड़ा ब्राह्मण वोट का नुकसान होने की आशंका है। वहीं आरएलपी के विनोद जाट भी जाट व दलित वोट बैंक को साधने में लगे है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रशांत शर्मा को पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नजदीकी माना जाता है तथा बिलौंची में रविवार को हुई सचिन पायलट की जनसभा का फायदा मिलेगा। हालांकि भाजपा प्रत्याशी सतीश पूनिया के पक्ष में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सभा हुई है। भाजपा के बागी राजकुमार शर्मा के मैदान में होने से बागड़ा ब्राह्मण वोट बंटेंगे। वही आरएलपी के विनोद जाट भी जाट वोट में सेंध लगाएंगे।

भाजपा प्रत्याशी पूनिया का मजबूत पक्ष:
पूनिया भाजपा का बड़ा चेहता है तथा पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और वर्तमान में उपनेता प्रतिपक्ष है। जाट वोटों के एकजुट होने का फायदा मिलेगा। विधायक कोष से करवाए काम और युवाओं के लिए लगाए रोजगार शिविरों भी मजबूत पक्ष है। लेकिन
कांग्रेस प्रत्याशी प्रशांत का मजबूत पक्ष: प्रशांत शर्मा के पिता सहदेव शर्मा यहां से विधायक रह चुके है तथा पांच साल से लोगों से जुड़े रहे। वहीं पिछला चुनाव हारने के कारण लोगों में प्रशांत के प्रति सहानुभूति है। दलित, किसान व गुर्जर वोट का भी झुकाव है। बागड़ा ब्राह्मण समेत सभी ब्राह्मण वोट एकजुट है। कांग्रेस सरकार के जनकल्याण कारी कार्यों व कांग्रेस की गारंटी के बल पर वोट मांग रहे है। क्षेत्र में नया उपखंड व तहसील बनने का भी फायदा मिलेगा। सचिव पायलट के खास माने जाते है। वहीं पिछली बार की हार इनका नकारात्मक पहलू है।


क्या है इस सीट का इतिहास:
वर्ष -2013 के विधानसभा चुनाव में आमेर विधानसभा क्षेत्र में एनपी प्रत्याशी नवीन पिलानी को जीत मिली थी और उन्हें कुल 51103 वोट मिले थे। इस चुनाव में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार सतीश पूनिया को 339 वोटों से हराया था. उस समय पूनिया को कुल 50774 वोट मिले थे। इस सीट पर साल 1998, 2003 और 2008 में लगातार तीन बार कांग्रेस पार्टी ने कब्जा जमाया.।
साल 1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के सहदेव शर्मा ने यहां से जीत हासिल की थी। वहीं 2003 में लालचंद कटारिया यहां से जीत कर आए और 2008 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के गंगासहाय ने इस सीट से जीत हासिल की.। हालांकि 2013 में यहां से एनपीपी के उम्मीदवार ने जीत दर्ज की। इसके बाद 2018 में सतीश पूनिया ने इस सीट को भारतीय जनता पार्टी के खाते में डाल दिया.

कुल मतदाता : 261751
पुरुष : 151111
महिला: 138045
ट्रांसजेंडर: एक
पोलिंग बूथ : 274
कुल 13 प्रत्याशी मैदान में :
आमेर विधानसभा क्षेत्र में वर्ष-2023 में होने वाले चुनाव में 13 प्रत्याशी मैदान में है। कांग्रेस, भाजपा के अलावा जातिवाद व स्थानीय प्रत्याशी में 9 निर्दलीय, आरएलपी से एक, आम आदमी परिवर्तन पार्टी से एक और आम आदमी पार्टी से एक उम्मीदवार है। निर्दलीय में प्रकाश कुमार शर्मा, राजकुमार शर्मा, मुरारी लाल मीणा, रविन्द्र कुमार, कालूराम भावरिया, अोमप्रकाश सैनी, महोम्मद सफीक, किशनलाल जांगिड़ है। आरएलपी से विनोद जाट, आम आदमी परिवर्तन पार्टी अयूब कुरैशी और आम आदमी पार्टी से पी.एस.तोमर है।

वर्ष-2018 में किसको कितने वोट मिले :
प्रत्याशी : पार्टी का नाम: वोट
    सतीश पूनिया : भाजपा : 93132
    प्रशांत शर्मा : कांग्रेस : 79856
    नवीन पिलानिया : बीएसपी : 15994
    रामजीलाल यादव : माकपा : 1547
    लालचंद शर्मा : निर्दलीय : 1537
    पूरन चंद वर्मा : एपीआई : 1470
    नटवर सिंह : निर्दलीय : 1401
अब तक कौन-कौन रहे विधायक
   2018 – सतीश पूनिया (भाजपा)
   2013 – नवीन पिलानिया (एनपीईपी)
   2008 – गंगासहाय (कांग्रेस)
   2003 – लालचंद कटारिया (कांग्रेस)
   1998 – सहदेव शर्मा (कांग्रेस)
   1993 – गोपीराम (भाजपा)
   1990 – गोपीराम (भाजपा)
   1985 – भैरों सिंह शेखावत (भाजपा)
   1980 -पुष्पा (भाजपा)
   1977 – पुष्पा (जेएनपी)

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