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Morgan Howen

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विवाद: जलदाय विभाग एक्सईएन श्रीवास्तव के खिलाफ ठेकेदार ने दर्ज करवाया गबन व फर्जीवाड़ा का मुकदमा

स्टेट डेस्क।
जलदाय विभाग (पीएचईडी) जयपुर सिटी सर्किल– साउथ के प्रताप नगर (खंड़-चतुर्थ) एक्सईएन केशव श्रीवास्तव के खिलाफ ठेकेदार ने कोर्ट इस्तगासा के जरिए प्रताप नगर पुलिस थाने में गबन, फर्जीवाड़ा व पद दुरुपयोग का मुकदमा दर्ज करवाया है। पुलिस ने धारा 420, 120बी, 406, 467, 468, 471, 384 में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। मामले में लिपिक नरेंद्र जगरवाल को भी अभियुक्त बनाया है। मैसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार राजेश कुमार ने इससे पहले जलदाय मंत्री बीडी कल्ला व विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव को भी लिखित शिकायत की थी, लेकिन एक्सईएन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद ठेकेदार ने कोर्ट की शरण ली। मामले की जांच सबइंस्पेक्टर मुकेश कुमार कर रहे है। शिकायत करने वाला ठेकेदार राजेश कुमार चौहान विभाग के पीएचईडी कॉन्ट्रेक्टर कल्याण समिति का अध्यक्ष भी है।
मुकदमा में यह लगाया है आरोप :
आरोप-1- सांगानेर के बुद्धसिंहपुरा पेयजल स्कीम के ऑपरेशन व मेंटेनेंस का काम परिवादी की फर्म मैसर्स राजेश कुमार कंस्ट्रक्शन को दिया। परिवादी ने 19 मार्च को एपीएस की गारंटी जमा कर दी। लेकिन एक्सईएन केशव श्रीवास्तव व लिपिक नरेंद्र जगरवाल से मिलकर दो कार्यादेश जारी कर दिए और फाइल से स्टांप गायब कर दिए।
आरोप -2-परिवादी की फर्म को 17 जून 2019 को कावेररी पथ चौकी में लीकेज मरम्मत का काम दिया। एक्सईएन ने पहले ठेकेदार से अवैध धन की मांग की। अवैध धन नहीं देने पर एक साल पूरा होने से पहले ही चहेती फर्म मैसर्स सैनी इण्डस्ट्रीज वीकेआई रोड नं. 15 को वर्कऑर्डर दे दिया। इसके लिए कागजों में कांटछांट की।
दारु पार्टी विवाद में हुए थे एपीओ :
राजनीतिक रसूख से एक्सईएन केशव श्रीवास्तव का लंबे समय से शहर में एईएन व एक्सईएन पदस्थापन रहा है। लेकिन 2017-18 के दौरान गांधीनगर में एक्सईएन रहने के दौरान कुछ कर्मचारियों ने सरकारी कार्यालय में शराब पार्टी कर ली थी। तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव रजत मिश्र ने मामले पर कार्रवाई करते हुए एक्सईएन श्रीवास्तव को हटा दिया था। मामले की जांच चल रही है।
करोड़ों की कमाई, ठेकेदारों में मार-काट:
पीएचईडी में करोड़ों रुपए की कमाई वाले पेयजल सप्लाई, पाइपलाइन, पंप हाउस, टंकी का ठेका लेने के लिए ठेकेदारों में मारकाट मची है। कर्मचारियों का आरोप है कि बिना काम ही ठेकेदारों की पेमेंट हो जाता है। माप-पुस्तिका में गड़बड़ कर करोड़ों की कमाई होती है।

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