5 रुपए किलो से भी कम है लौकी, कद्दू, बैंगन, टमाटर, मिर्ची के थोक भाव
सिटी डेस्क।
कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा होने के कारण जयपुर की मुहाना सहित अन्य मंडियों में किसानों की सब्जियों के थोक खरीददार ही नहीं है। मुहाना मंडी प्रशासन व व्यापार मंडल ने सभी ब्लॉक को सेनेटाइजेशन करवा लिया है। इसके बावजूद खुदरा खरीददार नहीं आ रहे है। ऐसे में किसानों की सब्जियां बिक ही नहीं रही है, या फिर औने पौने दाम पर बेचकर आनी पड़ रही है। टमाटर, मिर्ची, लौकी, कद्दू, बैंगन सहित अन्य सब्जियों के थोक भाव पांच रूपए किलो से भी कम है। ऐसे में किसानों को गांव से मंडी तक सब्जी लेकर जाने का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है। वहीं इस सीजन में खेतीबाड़ी में कमाई नहीं होने से किसान आगे सब्जियों के बीज व बुआई का खर्चा नहीं कर सकेंगे। इससे मानसून व सर्दियों में सब्जियों की कम उपज होने की अभी से आशंका हो गई है। इससे शहर के लोगों को महंगी सब्जियां मिलेगी। किसानों ने अनाज की तरह ही गांवों से सब्जियां खरीदने की व्यवस्था करने की भी मांग की है, ताकि बड़ी कंपनियां अपने आउटलेट खोल सके।
सबसे खराब सीजन, धंधा मंदा : व्यापारी
फर्म सुरेंद्र कुमार कन्हैयालाल सैनी के व्यापारी कैलाश प्रधान (बगवाड़ा) ने बताया कि इस बार अच्छी उपज के कारण किसान दूरदराज के गांवों से टमाटर, मिर्ची, लौकी, बैंगन, कद्दू की सब्जियां गाडियों में भरकर ला रहे है। लेकिन खरीददार ही नहीं है, ऐसे में किसान अपनी मेहनत से पैदा की सब्जियां जानवरों को डालकर जा रहे है या गौशालाओं में भेज रहे है। व्यापारियों का धंधा भी ठप है। सरकार को व्यापारियों व किसानों के लिए पैकेज की घोषणा करनी चाहिए।
इसलिए नहीं आ रहे है खरीददार:
मुहाना मंडी परिसर सैकड़ों बीघा जमीन में फैला हुआ है। लेकिन कुछ व्यापारियों के लोभ लालच के कारण दो-तीन ब्लॉक में ही व्यापार होता है तथा माशाखोर भी यहीं बैठते है। इससे भीड़ रहती है। इसको लेकर कई फोटो वायरल हो गई। इससे शहर में लोगों ने ठेले वालों से सब्जियां खरीदना बंद कर दिया। उनको आशंका है कि भीड़ के कारण कोरोना वायरस संक्रमण की आंशका है। ऐसे में सब्जियों की खपत कम होने से डिमांड भी कम हो गई। वहीं लॉकडाउन के कारण खरीदार भी बहुत कम निकल रहे है।
किसानों को मिले विशेष पैकेज :
किसान संगठनों की मांग है कि लॉकडाउन व कोरोना के कारण सब्जियों की डिमांड कम हो गई। इस जायद सीजन में सब्जियों की बुआई, सिंचाई व परिवहन का खर्चा भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में सरकार को सब्जी बुआई के गांवों का सर्वे कर किसानों को विशेष पैकेज की घोषना करनी चाहिए।