
सिटी डेस्क।
शहर में अवैध निर्माण व अतिक्रमणों के कारण जेडीए को सुनियोजित विकास में बाधा हो रही है। शहर के बेहतर प्लानिंग को लेकर बनाए कायदे-कानूनों की धड़ल्ले से धज्जियां उड़ाई जा रही है। हाल यह है कि जेडीए को रोजाना हो रही तोड़फोड़की कार्रवाई के बावजूद भूमाफियाओं के हौसले बुलंद है। जेडीए की प्रवर्तन विंग ने मंगलवार को भी आधा दर्जन जगह अवैध कॉलोनियों पर बूलडोजर चलाया और हथौड़ा से यहां बन रही बिल्डिंगों को तोड़ दिया। लेकिन जेडीए के अधिकारियों ने इन अवैध कॉलोनियों को बनाने वाले भूकारोबारियों को बचाने के लिए इनके नाम गुप्त रखे तथा जिस जमीन पर यह अवैध कॉलोनियां बनाई जा रही थी, उन जमीन के खातेदार व खसरा नं. भी सार्वजनिक नहीं किया गया। इससे जेडीए के जोन व प्रवर्तन विंग के अधिकारियों की नियत साफ मालूम चलती है।
जेडीए जोन-02 के ग्राम आखेड़ा डूंगर अखेपुरा में भाव सागर बांध के तालाब पेटे की करीब 6 बीघा निजी खातेदारी भूमि पर अवैध कॉलोनी बसाई जा रही था। यहां पर जेडीए की अनुमति के बिना ही बाउण्ड्रीवाल, पिल्लर, नव निर्मित नीव व अन्य अवैध निर्माण निर्माण हो रहे थे। जेसीबी मशीन व मजदूरों की सहायता से इन्हे ध्वस्त किया जाकर अवैध कॉलोनी बसाने के प्रयासों को विफल किया गया। ग्राम आखेड़ा डूंगर रोड़ नं. 17 के पास निजी खातेदारी भूमि करीब 1000 हजार वर्ग गज में गोदाम बनाने के लिये अवैध बाउण्ड्रीवाल का निर्माण किया जा रहा था; जिसे प्रवर्तन दस्ते द्वारा जेसीबी मशीन व मजदूरों की सहायता से ध्वस्त किया गया।
प्रदूषण का बना डेंजर जोन :
विश्वकर्मा के पास आकेड़ा, अखैपुरा, लक्ष्मीनारायणपुरा, सेवापुरा व बढ़ारणा गांव की करीब एक हजार बीघा जमीन पर पिछले तीन साल में पांच हजार से भी ज्यादी फैक्ट्रियां बन गई है। यहां पर जेडीए, निगम, प्रदूषण बोर्ड व रीको का कोई कंट्रोल नहीं है। ऐसे में यहां पर ज्यादातर फैक्ट्रियों में रबर, टायर, ऑयल, पॉलिथीन थैलियां व प्लास्टिक गलाने व जलाने का काम होता है।
