एजुकेशन डेस्क।
‘इंजीनियरिंग व मेडिकल कोचिंग सिटी’ कोटा में एक छात्र के कोरोना पॉजिटिव आ जाने के बाद राजस्थान-उत्तरप्रदेश-बिहार की सरकारों में कड़वाहट हो गई है। लॉकडाउन की एडवाइजरी के मुताबिक छात्र प्रदेश की सीमा नहीं लांघ सकते है। लेकिन अभिभावकों की चिंता के बाद उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने छात्रों को लाने के लिए बसें भिजवा दी है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतिशकुमार ने इस पर नाराजगी जताई है। उन्होने इसे लॉकडाउन के सिद्धांतों को धता देना बताया है। हालांकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्पष्ट किया है कि राज्य चाहे तो अपने क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को ले जा सकते है। गौरतलब है कि कोटा में 97 लोगों के कोरोना पॉजिटिव आया है। लेकिन पिछले 24 घंटे में एक छात्र के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद चिंताएं बढ़ी है। पॉजिटिव मिला छात्र कोटा से 13 अप्रैल को अपने घर भरतपुर पहुंचा था। रिपोर्ट पॉजिटिव आने बाद कोटा में उसके हॉस्टल के कमरे को सील कर दिया गया है।
यूपी व बिहार के छात्र है सबसे ज्यादा
देशभर के स्टूडेंट्स कोटा के कोचिंग संस्थानों में मेडिकल व इंजीनियरिंग की तैयारी करने आते है। अधिकांश स्टूडेंट्स कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के हॉस्टल और पीजी में रहते हैं। लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में ही आसपास के स्टूडेंट्स यहां से घर लौट चुके हैं और यह सिलसिला अब भी जारी है। ऐसे में अन्य राज्यों के स्टूडेंट के बीच खाने-पीने से अधिक समस्या अकेलेपन और तनाव की पैदा हो गई है। लाकडाउन में फंसे छात्रों में सबसे ज्यादा संख्या यूपी के रहने वालों की है। यहां पर उत्तर प्रदेश से करीब 7500 स्टूडेंट्स कोटा में है। बिहार के रहने वाले 6500 स्टूडेंट़स है, जो कि दूसरे नंबर पर है। इसके अलावा मध्यप्रदेश के 4000, झारखंड के 3000, हरियाणा के 2000, महाराष्ट्र के 2000, नार्थ ईस्ट के 1000 और पश्चिम बंगाल के करीब 1000 स्टूडेंट्स लॉकडाउन की वजह से कोटा में अटके हुए है। इन स्टूडेंट्स में 14-15 हजार हजार लड़कियां भी शामिल हैं।
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