
पॉलिटिकल डेस्क।
राजस्थान में सत्ता के लिए चल रहे कांग्रेस कलह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की तगड़ी लॉबिंग के बाद वरिष्ठ नेता सचिन पायलट बैकफुट पर आते दिख रहे है। पायलट ने एक न्यूज मैगजिन को दिए इंटरव्यू में कांग्रेस सदस्य होने व मुख्यमंत्री से नाराज नहीं होने की बात कही है। हालांकि पार्टी मंच पर सुनवाई नहीं होने व सरकार की से विकास कार्य नहीं करने पर नाराजगी जताई है। वहीं कांग्रेस पार्टी के व्हिप के बावजूद विधायक दल की बैठक में मौजूद नहीं रहने पर संगठन ने पायलट व 18 विधायकों की प्राथमिक सदस्यता रद्द करने की कार्रवाई शुरु कर दी है। वहीं विधानसभा की ओर से पायलट गुट के विधायकों को नोटिस दिया है। इसका दो दिन में जवाब देना है, अन्यथा विधायकी नहीं रहेगी।
कांग्रेस के सभी पदाधिकारी हटाए, मीडिया से बात करने पर बैन:

कांग्रेस के राजस्थान प्रभारी व वरिष्ठ नेता अविनाश पांडे ने ट्वीटर के जरिए जानकारी देते हुए लिखा है कि प्रदेश कांग्रेस के सभी संगठन व प्रकोष्ठों के पदाधिकारी हटा दिए है। वहीं कांग्रेस कार्यकर्त्ताओं पर मीडिया से बात करने पर बैन कर दिया है।
पायलट का दूसरी पार्टी में जाने से इंकार, भाजपा नहीं करवाएगी फ्लोर टेस्ट
कांग्रेसी नेता सचिन पायलट ने बगावत के बावजूद भाजपा या अन्य किसी दूसरी पार्टी में जाने की संभावनाओं से इंकार किया है। वहीं भाजपा ने भी सरकार के बहुमत को लेकर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाने से इंकार कर दिया है। भाजपा नेताओं का मानना है कि कांग्रेस या पायलट के अगले कदम के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।
इंटरव्यू में झलका सचिन पायलट का दर्द:
- पांच साल मेहनत की, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बने।
- विकास के काम का मौका नहीं दिया।
- पद का क्या फायदा, जब जनता से किए वादा पूरा नहीं
- कांग्रेस राजद्रोह कानून के खिलाफ थी, लेकिन मेरे पर ही इसको इस्तेमाल कर रही है। मेरा कदम अन्याय के खिलाफ एक आवाज थी।
-मैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से गुस्सा नहीं हूं, न ही किसी तरह का पद या पावर चाहता हूं। हमने अवैध खनन के खिलाफ आवाज उठाई। वसुंधरा राजे सरकार पर अवैध खनन की लीज को खत्म करने का दबाव बनाया। लेकिन गहलोतजी ने कुछ नहीं किया है। वे भी उसी रास्ते पर चल दिए। - मुझे और मेरे साथ कार्यकर्ताओं को राजस्थान के विकास के लिए काम करने की अनुमति नहीं दी। अधिकारियों को मेरे निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए कहा गया था, फाइलें मेरे पास नहीं भेजी गईं। कैबिनेट की बैठकें महीनों तक नहीं होती थीं। ऐसे पद का क्या मतलब जहां बैठकर में जनता से किए वादे पूरे नहीं कर सकता? इसके बारे में कई बार अविनाश पांडे और पार्टी के बड़े नेताओं को भी जानकारी दी, गहलोत जी से भी बात की, लेकिन बैठकें ही नहीं होती थीं।

