
स्टेट डेस्क।
जयपुर विद्युत वितरण निगम (जयपुर डिस्कॉम) में कुछ इंजीनियरों व ठेकेदारों में मिलीभगत का खेल चल रहा है। इस खेल में बिजली सिस्टम का लाखों रुपए के मेटेरियल की हेराफेरी कर ठेकेदार के गोदाम में पहुंचाया जा रहा है। जबकि इंजीनियरों ने इस मेटेरियल को मापपुस्तिका में दर्ज करवा कर ठेकेदार को पेमेंट भी कर दिया। डिस्कॉम की सेंट्रल विजिलेंस विंग की टीम ने अलवर सर्किल के बानसूर में एक ठेकेदार हरद्वारी लाल स्वामी के गोदाम पर छापा मार कर करीब 20 लाख का मेटेरियल जब्त किया है। ठेकेदार की फर्म विकास एंटरप्राइजेज है। गोदाम से बड़ी मात्रा में बिजली तार, स्टे वायर एंगल व केबल ड्रम मिले है। मेटेरियल पर जेवीवीएनल की मोहर लगी हुई थी। ठेकेदार के पास इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था। जयपुर डिस्कॉम के प्रबंध निदेशक नवीन अरोड़ा के निर्देश के बाद विजिलेंस विंग के एडिशनल एसपी दिलीप सैनी ने यह कार्रवाई की है। विजिलेंस के एक्सईएन लोकेश जैन सहित अन्य एक्सईएन व एईएन भी उपस्थित थे। टीम ने ठेकेदार के घर 8 ड्रम रिपीट वायर, 2 ड्रम आर्मर्ड केबल व वी क्रॉस व अन्य सामान जब्त किया है। यह सामान बहरोड स्टोर में रखवाया है।

अब भ्रष्टाचार के किरदारों की होगी जांच :
विद्युत निगम में सीएलआरसी (एआरसी) में काम करने वाले ठेकेदार रातों रात करोड़पति बन रहे है। इस भ्रष्टाचार के खेल में इंजीनियरों व कर्मचारियों की मिलीभगत से इंकार नहीं किया जा सकता है। सीएलआरसी ठेकों में ठेकेदार डिस्कॉम के एसीओएस स्टोर से मेटेरियल लेता है। यह मेटेरियल फील्ड में लग जाए, इसकी मॉनिटरिंग एक्सईएन, एईएन व जेईएन को करनी होती है। लेकिन इस खेल में एसीओएस से लेकर एईएन-जेईएन की मूक सहमति होती है तथा सरकारी सामान विद्युत निगम में मेटेरियरल सप्लाई करने वाले सप्लायरों या कबाड़ी के गोदाम में पहुंच जाता है।
