About Author

Morgan Howen

Morgan is an example author of everest news. She has just a dummy image & content. Sed ut perspiciatis unde omnis iste natus error sit

रेवेन्यू बोर्ड में महा-घूस कांड: न्यायिक सिस्टम में IAS-RAS करते है जमीनों के मुकदमों में ‘अन्याय’

स्टेट डेस्क।
राजस्थान का राजस्व मंडल यानि रेवेन्यू बोर्ड में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। न्यायिक सिस्टम में IAS व RAS जमीमों के मुकदमों से करोड़ों रुपए कमाने के लिए न्याय देने के नाम ‘अन्याय’ कर रहे है। इस पूरे सिस्टम में वकील व रीडर -बाबू इन अफसरों के दलाल बने हुए है। इन्टेलीजेंस की रिपोर्ट के बाद बोर्ड के दो सदस्यों RAS सुनील शर्मा और RAS बीएल मेहरड़ा पर दबीश दी तो भ्रष्टाचार- घूस का महाकांड सामने आया। मामले की परत दर परत जांच हुई तो सामने आएगा कि कई सेटिंग-बाज वकील 10 से 15 साल की प्रैक्टिस में ही करोड़पति बन गए। जबकि न्याय का पाठ पढ़ने वाले वकील रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे है। सूत्रों का कहना है कि मुकदमों की बहस करने के बाद रीडर, वकील व बाबू केस के प्रार्थी व अप्रार्थी से दलाल के तौर पर सौदेबाजी करते थे। बोर्ड के मेंबर की चेयरमेन तक सेटिंग थी तथा मुकदमों में जमीन को तौल कर रिश्वत की राशि तय होती थी। यानि एक बीघा जमीन का केस तो कम से कम एक लाख। जमीन ज्यादा होने पर 50 लाख से दो करोड़ तक की रिश्वत बांटती है।


भ्रष्टाचार मिटाने में लगी एसीबी:
राजस्थान की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ACB के DG बीएल सोनी व ADG दिनेश एमएन के निर्देशन में ACB अजमेर के SP समीर सिंह ने पूरी कार्रवाई को अंजाम दिया। जयपुर में मामले को ASP बजरंग सिंह शेखावत देख रहे है। लोगों की मांग है कि ACB पिछले दो साल में हुए फैसलों का रिव्यू करवाए और जिन लोगों ने मुककमों के फैसलों से असंतुष्ट होने का आवेदन किया है, उनको रि-ओपन करवाए ताकि न्याय मिल सके।
इन अफसरों पर भी शिकंजा :
ACB ने RAS सुनील शर्मा व RAS बीएल मेहरड़ा के साथ ही बोर्ड चेयरमेन IAS आर. वेंकटेश्वरन, सदस्य IAS विनिता श्रीवास्तव, RAS आलोक नाग भी जांच के दायरे में है। विनिता व नाग के चेंबर भी सील है। विनिता श्रीवास्तव ने अपनी आधी नौकरी रेवन्यू बोर्ड में की है तथा नाग भी लंबे समय से पोस्टिंग पर है। सू्त्रों का कहना है कि राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने भी आर.वेंकटेश्वरन को चेयरमेन लगाने के पक्ष में नहीं थे।


लेन-देन मे चलता था कोड वर्ड- एक लाख को कहते थे एक किलो:
एसबी की जांच में सामने आया है कि आरोपी कोड वर्ड में एक लाख रुपए को एक ‘किलो’ या एक ‘पेज’ बोलते थे। यानि 100 किलो या 100 किलो का मतलब एक करोड़ रुपए। ACB ने आरोपी अफसरों के मोबाइल जब्त कर लिए है। इनके वाट्सएप पर दूसरे अफसरों व दलालों से लेनदेन की चैटिंग है। कई RAS अधिकारी व वकील भी ACB की रडार पर है।
मानमाफिक बैंच नहीं तो तारीख पे तारीख :
रेवेन्यू बोर्ड में कुछ वकील किसी खास सदस्य की बैंच में ही अपने मामलों की सुनवाई कराना चाहते थे। दूसरे सदस्य की बैंच में सुनवाई के लिए केस लगते पर वह तारीख ले लेते हैं। वहीं बोर्ड में कई फैसले खुले कोर्ट रूम में सुनाए जाने के बजाए मेंबर के चैंबर में जारी किए जाते है। कोर्ट में तो दोनों पक्षों को सुनकर फैसला रिजर्व रख लिया जाता है। फिर सुविधानुसार किसी दिन ‘ऑर्डर’ जारी कर दिया जाता है। प्रार्थी व अप्रार्थी को फैसले की जानकारी तब होती है जब नकल हाथ में आती है या वेबसाइट पर अपलोड हो जाती है। बोर्ड में सदस्यों के 20 पद स्वीकृत है। दो सदस्य न्यायिक व दो वकील कोटे से आते है। यह चारों पद भरे है। आईएएस कोटे में 5 सदस्य होते है, लेकिन केवल विनिता श्रीवास्तव ही लगी हुई है। वह यहां पहले रजिस्ट्रार थी। यहां आरएएस कोटे के 11 पद होते है, जिसमें से केवल 7 लगे है।
कौन है शर्मा- मेहरड़ा और दलाल :
RAS सुनील शर्मा दो साल से रेवन्यू बोर्ड में मेंबर है तथा 1994 बैंच के RAS है। यह जयपुर डिस्कॉम में सचिव (प्रशासन) व नगर निगम में उपायुक्त रह चुके है। इसके परिवार में भाई केके शर्मा भी जयपुर डिस्कॉम में चीफ इंजीनियर रहे है तथा बापूनगर रहते है। वहीं नागौर निवासी RAS बीएल मेहरड़ा एक साल से रेवन्यू बोर्ड के मेंबर है। तथा 1996 बैंच के RAS है तथा वैशालीनगर रहते है। मेहरड़ा दो साल से अजमेर में राजस्व अपील अधिकारी (आरएए) रहे है। इससे पहले सीकर में आरएए थे। यानि करीब पांच साल से जमीनों के केसों की सुनवाई कर रहे है। सूत्रों का कहना है कि दोनों ही अधिकारी रेवेन्यू बोर्ड चैयरमेन आर. वेंकटेशवर के साथ सहज थे। दलाल शशिकांत जोशी वकील तथा तथा बोर्ड में जमीन के मुकदमों की प्रैक्टिस करता था। ACB को तीन-चार वकीलों के बारे में भी जानकारी लगी है तो चेयरमेन से कह कर बैंच तय करवाते थे तथा एक डिप्टी रजिस्ट्रार की पोस्टिंग भी एक वकील के कहने से हुई थी।
20 माह में जमीन के 476 केस हारी सरकार :
रेवेन्यू बोर्ड में 1 जनवरी 19 से 31 अगस्त 2020 तक बोर्ड में राज्य सरकार के खिलाफ 476 मुकदमे तय किए गए। इसमें से 141 मुकदमों में फैसला एसीबी के शिकंजे में फंसे मेंबर सुनील शर्मा ने किए हैं। बोर्ड में इस अवधि में सरकार के विरूद्ध तय हुए 467 मुकदमों में से 254 ऐसे हैं जो सरकार की ओर से पेश किए गए थे और खारिज कर दिए गए, वहीं 222 मुकदमे ऐसे हैं जो सरकार के विरूद्ध पेश हुए थे और इन्हें मंजूर कर लिया गया। सरकार पार्टी होने के कारण इन मुकदमों में अनियमिताताओं की शिकायतें भी नहीं हो पाती है रेवेन्यू बोर्ड में राज्य सरकार की अोर से पैरवी करने वाले वकीलों को तकरीबन 3000 से 3500 रुपए हर महीने बतौर मेहनताना मिलते हैं जो न्यूनतम मजदूरी से भी कम है। लेकिन इतना कम मेहनताना होने के बावजूद रेवेन्यू बोर्ड का सरकारी वकील बनने के लिए सरकार, ब्यूरोक्रेसी व बड़े नेताओं के स्तर तक सिफारिश होती है।
कानून की आड़ में अनैतिक काम :
राजस्थान में तहसीलदार से लेकर संभागीय आयुक्त के किसी भी आदेश और कार्रवाई को रेवेन्यू बोर्ड में राजस्थान भू राजस्व अधिनियम की धारा 9 और राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 221 के तहत चुनौती दी जा सकती है। इसमें समय सीमा का ध्यान रखा जाना चाहिए लेकिन कानूनी प्रावधान लचीला होने की वजह से दस-बीस नहीं बल्कि कई बार तो 30 से 40 साल पुराने आदेश व कार्रवाई भी बदल दी जाती है। रेवेन्यू बोर्ड राजस्थान को सभी अधीनस्थ राजस्व अदालतों और राजस्व अधिकारियों पर अधीक्षण का अधिकार है। इन दोनों धाराओं के जरिये बोर्ड अपनी अधीनस्थ अदालतों और अधिकारियों पर नियंत्रण रखता है और उनके किसी भी आदेश और कार्रवाई को निरस्त कर सकता है या बदल सकता है। धारा 9 में तो उन मामलों को भी रेवेन्यू बोर्ड में लाया जा सकता है जिनके लिए अपील या रिवीजन का प्रावधान नहीं है।

(Visited 196 times, 1 visits today)