वीडियो कॉल पर देखा मां का अंतिम संस्कार
सिटी डेस्क।
कोरोना महामारी से जूझ रहे मेडिकल योद्धाओं के त्याग व बलिदान ने नया इतिहास लिखा है। मातृ धर्म से बड़ा चिकित्सा धर्म हो गया है। एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर में आइसोलेशन और आईसीयू के नर्सिंग इंचार्ज राममूर्ति मीणा ने ममतामयी मां के अंतिम संस्कार में जाने के बजाए कोरोना पीडितों की सेवा को प्राथमिता देकर अनूठी मिसाल कायम की है। राममूर्ति ने आंसुओं को रोकते हुए वीडियो कॉल पर मां का अंतिम संस्कार देखा और हाथ जोड़कर नमन किया। साथी नर्सिंग कर्मियों ने राममूर्ति की कर्तव्यपरायणता को सलाम किया। उन्होने कहा कि ‘तुम वाकई में राम हो।’
एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर में आइसोलेशन और आईसीयू के नर्सिंग इंचार्ज राममूर्ति मीणा करौली के राणोली गांव के हैं। राममूर्ति जयपुर में ही क्वॉरेंटाइन हैं। 93 साल की मां भोली देवी दुनिया में नहीं रही। जन्म देने वाली मां के प्यार पर पर ‘मेडिकल कर्तव्य’ पड़ा। कोरोना से जिंदगी की जंग लड़ रहे लोगों को भला अकेला कैसे छोड़ता ये बेटा? मां की अंत्येष्टि में नहीं जाने का पहाड़ सा फैसला किया।
राममूर्ति मीना कहते है कि पत्नी व बच्चे सभी गांव में है। भाइयों का कहना था कि आप कोरोना पीडित मरीजों की सेवा करो। यहां हम सब संभाल लेंगे। परिवार के हौसले की बदौलत ही इतनी हिम्मत बढ़ गई। अब मैं खुद 14 दिन के क्वारेंटाइन में हूं। राममूर्ति आइसोलेशन वार्ड में एक साल से काम कर रहे है।